प्रश्न- बाबाजी कृपया ध्यान एंव साधना करने का उद्देष्य बताईये?
बाबाजी - साधना शब्द का अर्थ है ‘प्राप्त करने के लिए चेष्टा करना । यहॉं मन पर नियंत्रण प्राप्त करने की चेष्टा की बात है। मूलतः सभी साधनाए इसलिए सिखाई जाती है ताकि मन पर काबू किया जा सके। ध्यान उच्चतम अवस्था है। ध्यान का अर्थ है आपका मन का किसी एक भाव पर स्थिर होना। यहॉं संदर्भ है अपने असली रुप, शाष्वत सत्य रुपी आत्मस्वरुप में ध्यान देना। ध्यान के माध्यम से आप अपने मन पर काबू पाने का ही अभ्यास करते है। इस मन और उसकी उन्माद करने की प्रतिक्रिया ही मूल भूत कारण है विभिन्न लालसाओं का। इन लालसाओ के कारण से ही दुख, घबराहट, चिंता, पागलपन और हिंसा का जन्म होता है। इनसे बचने के लिए ही आपको ध्यान द्वारा मन पर काबू करना चाहिए। यह मन प्रभु से जुड़़ा है । मन का असली रूप आलैकिक दिव्यता ही है। यद्यपि मन अपने आप ही बिना किसी सहारे के एकाग्र हो जाये तो वह अर्न्तमुखी हो जाता है। उसके पास तिसरी राह नही है भटकने को। या तो वह एक वानर बुद्धि की तरह सांसारिक वस्तुओं में ही लगा रहेगा या फिर विचार शुद्धि द्वारा ध्यान केंद्रित होकर अन्तर्मुखी हो जाएगा और फलस्वरूप अपने मूल तत्व अथवा आत्मा या दिव्यता की ओर जायेगा। ये सभी शब्द एक ही शाष्वत सत्य के बारे मे ही कहे जाते है। आत्मसाक्षात्कार या प्रभु साक्षात्कार को एक ही समझना चाहिए। मन स्वभाविक रूप से आत्म चिंतन मे डूब जाता है कोई लालसा नही रहती और पूर्ण रुप से शान्ति और तृप्ति का अनुभव करता है । साधना के बारे में ऐसा विचार है।
ध्यान की तकनीक है किसी एक बिंदु पर दृष्टि एवं मन से एकाग्र चित् लगाना, बिना किसी कल्पना के। हम यही विधि सिखाते हैं। यह विधि ध्यान की उच्चत्म विधि है और भारत में ऋगवैदिक काल से है।
उस युग के तपस्वी इसी ध्यान की तकनीक से तप करके आत्मसाक्षात्कार अनुभव करके आत्मबोद्धि हुआ करते थे। इस संसार में जीने के लिए भी यह ध्यान की विधि उपयोगी है। ध्यान केंद्रित होने से कार्यक्षमता बढ़ जाती है और विवेक भी बढ़ता है। मैं युवा को भी यही कहता हूं , ध्यान के द्वारा आप प्रतिभावान बन सकते हो। इस तरह हम सिखाने की चेष्टा करते हैं। ध्यान करके मनुष्य एक तनाव मुक्त जीवन जी सकता है।
(babaji is my guru)